REET में नकल के मास्टर माइंड को दूधवाला बनकर पकड़ा:आधा राजस्थान घूमकर पुलिस को देता रहा चकमा, लोकेशन मिली तो हुलिया बदलकर पहुंची पुलिस

REET में नकल के मास्टर माइंड को दूधवाला बनकर पकड़ा:आधा राजस्थान घूमकर पुलिस को देता रहा चकमा, लोकेशन मिली तो हुलिया बदलकर पहुंची पुलिस

REET में नकल के मास्टर माइंड को दूधवाला बनकर पकड़ा:आधा राजस्थान घूमकर पुलिस को देता रहा चकमा, लोकेशन मिली तो हुलिया बदलकर पहुंची पुलिस

बीकानेर
लाल घेरे में नकल गैंग का मास्टरमाइंड तुलसाराम कालेर।

REET 2021 परीक्षा में कैंडिडेट को 6-6 लाख रुपए में नकल वाली चप्पल बेचने वाला मास्टर माइंड तुलसाराम कालेर बहुत शातिर है। वो कुछ साल तक पुलिस में सब इंस्पेक्टर रहा, इसलिए उसे पुलिस की हर तकनीक का पता था। ऐसे में पुलिस को एक महीने से ज्यादा समय तक चकमा देता रहा।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक आधा राजस्थान घूमने के बाद तुलसाराम जयपुर पहुंचा। पुलिस को लोकेशन का पता चला तो सोसाइटी बिल्डिंग को ही घेर लिया। सोसाइटी में रहने वाले लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए पुलिस ने बहुत ही चालाकी से तुलसाराम को दबोचा।

जयपुर में अजमेर रोड स्थित इस बिल्डिंग में रहते हुए वो किसी से नहीं मिल रहा था। ऐसे में पुलिस ने अपना हुलिया बदलकर कभी दूध वाला तो कभी मेंटेनेंस कर्मी बनकर जानकारी जुटाई। लगभग हर फ्लेट में पुलिसकर्मी पहुंचे। इसी दौरान एक फ्लेट में वो नजर आ गया। इसके बाद पुलिस ने उसे दबोच लिया।

ऐसे काटी फरारी
REET की परीक्षा से एक दिन पहले ही पुलिस ने कुछ कैंडिडेट को दबोच लिया था। इसकी भनक लगते ही तुलसाराम फरार हो गया। जिस गंगाशहर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है, उसी एरिया में वो नकल से एक दिन पहले तक बेखौफ घूम रहा था। बीकानेर के अलावा वह श्रीगंगानगर, चूरू, सीकर और अजमेर में काफी समय रहा। कुछ अन्य जिलों में भी फरारी काटकर वह अंत में जयपुर पहुंच गया था।

मोबाइल का उपयोग नहीं
पुलिस ने तुलसाराम के मोबाइल पर नजर रखी हुई थी, लेकिन तुलसाराम ने एक बार भी इस नंबर का उपयोग नहीं किया। वह पुलिस में रह चुका है, इसलिए पुलिस की कार्यशैली से वाकिफ था। ऐसे में उसके साथ ही कई अन्य लोगों के मोबाइल पुलिस की नजर में थे। इसी आधार पर पता चला कि वो कहां है? कई बार उसे गिरफ्तार करने का प्रयास भी हुआ, लेकिन वो पहले ही फरार हो जाता था।

ऐसे पकड़ता था कैंडिडेट्स 
तुलसाराम बीकानेर में एक कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाता था। इस दौरान वो ऐसे कैंडिडेट की तलाश में रहता था, जो रुपए देकर अपना सलेक्शन करवाना चाहते थे। तुलसाराम उसी से संपर्क करता था। उसकी गैंग का सदस्य राजू कैंडिडेट से बात करता था। एक कैंडिडेट से छह से सात लाख रुपए लेता था। इसके बाद उसे नकल के लिए बकायदा ट्रेनिंग दी जाती थी।

ऐसे बनाता था डिवाइस
तुलसाराम और उसकी गैंग ने ही चप्पल से नकल का नया आइडिया निकाला था। पिछले कुछ सालों से पुलिस सब कुछ चैक कर रही थी, लेकिन चप्पल पर उसकी नजर नहीं थी। ऐसे में चप्पल को ही काटकर उसमें मोबाइल फिट कर दिया गया। इसके साथ ही ब्लूटूथ डिवाइस इस तरह तैयार करवाई जाती थी कि उसके अंदर वाइस कालिंग डिवाइस बैटरी, सिम सॉकेट आदि फिट किए जा सकें। एक मक्खी जितने आकार का ब्लूटूथ कैंडिडेट के कान में फिट कर दिया जाता था।

अंडर गारमेंट में डिवाइस
तुलसाराम गैंग ने एग्जाम सेंटर पर होने वाली चैकिंग का भी गहनता से एनालिसिस किया। उन्हें लगा कि सब कुछ चैक होता है, लेकिन अंडर गारमेंट्स चैक नहीं होते। खासकर लड़कियों के लिए ये बहुत आसान था। ऐसे में कुछ ऐसे डिवाइस भी बनाए गए, जो लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन में छिपाने के लिए दिए गए।

इन तीन कांस्टेबलों की मेहनत
वैसे तो पुलिस अधीक्षक से लेकर थानेदार तक तुलसाराम को पकड़ने में लगे थे, लेकिन राजस्थान पुलिस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुके तुलसाराम को गिरफ्तार करने में साइबर सेल की बड़ी भूमिका रही। इसमें हैड कांस्टेबल और साइबर स्पेशलिस्ट दीपक यादव की खास भूमिका रही। दीपक के अलावा हैड कांस्टेबल कानदान और कांस्टेबल वासुदेव की विशेष भूमिका रही। वैसे इस टीम में गंगाशहर थानाधिकारी राणीदान चारण, सब इंस्पेक्टर राकेश स्वामी, डीएसटी के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रामकरण दान, हैड कांस्टेबल कानदान सांदू, कांस्टेबल सवाई सिंह राइका, दिलीप सिंह, लखविंद्र और चंद्रभान की भूमिका रही।