बुटाटी धाम श्री संत चतुरदास जी महाराज का मंदिर समाधि स्थल
बुटाटी धाम के बारे में मान्यता वहां पर निवास लोगों की मान्यता के अनुसार संत श्री चतुरदास जी महाराज चारण कुल में जन्मे थे तथा वे एक सिद्ध योगी भी तथा ब्रह्मचारी बीते जिन्होंने हिमालय
बुटाटी धाम श्री संत चतुरदास जी महाराज का मंदिर समाधि स्थल
बुटाटी धाम के बारे में मान्यता वहां पर निवास लोगों की मान्यता के अनुसार संत श्री चतुरदास जी महाराज चारण कुल में जन्मे थे तथा वे एक सिद्ध योगी भी तथा ब्रह्मचारी बीते जिन्होंने हिमालय पर तपस्या करके सिद्धियों को प्राप्त किया था वह अपनी सिद्धियों के माध्यम से स्थानीय लोगों के लकवे paralysis संबंधित बीमारियों को ठीक किया करते थे संत श्री चतुरदास जी महाराज के धाम को बुटाटी धाम भी कहा जाता है तथा बुटाटी धाम के नाम से विख्यात है वहां के लोगों की
मान्यता के अनुसार बुटाटी धाम में 7 दिन सात परिक्रमा लगाने से लकवा दूर होता है या उसमें कई हद तक आराम भी मिलता है बुटाटी धाम में स्थानीय नागरिक वह राजस्थान समेत देश व विदेश से लोग अपने परिजनों को वहां इलाज के लिए लाते हैं जिसमें लकवा paralysis
पैरालाइसिस ब्रेन हेमरेज से संबंधित बीमारियों का इलाज होता है लोगों के मत के अनुसार कहा जाता है कि बुटाटी धाम में 7 दिन तक आप को रुकना अनिवार्य है और सात फेरी लगानी अनिवार्य है ।
बुटाटी धाम मैं ठहरने की व्यवस्था
वहां पर बुटाटी धाम में रहने और खाने की सुविधाओं के लिए वहां पर मंदिर परिसर की ओर से एक गैस की छोटी टंकी जैसा चुला तथा बर्तन उपलब्ध कराया जाता है जो आपके आइडेंटी के आधार पर वहां दिया जाता है तथा बाहर दुकानों पर गैस भी उपलब्ध होती है जिससे आपको खाना बनाने में आसानी होती है सारा सामान वहां पर मंदिर की ओर से उपलब्ध कराया जाता है जिसकी एंट्री कर कर दिया जाता है बाद में जाते समय वहां जमा कराएं अनिवार्य है मंदिर परिसर में एटीएम की भी सुविधा और शौचालय की भी अच्छी व्यवस्था की गई है जिससे वहां पर लोगों को परेशानी ना हो और बाहर से आए हुए लोग आसानी से वहां पर ठहर सके धर्मशाला काफी बड़ी और लंबी चौड़ी है वहां पर प्रसाद के रूप में भी भोजन दिया जाता है जिसे एक समय खाना अनिवार्य है फेरी के नियम सुबह सूर्य उदय के पहले 5:00 से 5:15 बजे के आसपास आरती के दर्शन वह मंदिर की परिक्रमा और शाम को आरती के दर्शन वह मंदिर की परिक्रमा तथा हवन कुंड की परिक्रमा तत्पश्चात हवन कुंड से आ सका मिलती है उसको सरसों के तेल में डालकर रोगी व्यक्ति के शरीर पर मालिश करना जीते बहुत हद तक आराम मिलता है
बुटाटी धाम कैसे पहुंचे
दोस्तों बुटाटी धाम पहुंचने के लिए आप चाहे तो पर्सनल गाड़ी के माध्यम से भी जा सकते हैं या रेल बाबत के माध्यम से भी जा सकते हैं बुटाटी धाम नागौर जिले से तकरीबन 35 से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिससे चाहे बस हो या रेलवे स्टेशन हर जगह लाने ले जाने के लिए गाड़ियां पर्सनल टैक्सी लगी रहती है जो बुटाटी धाम लाकर वापस आपको स्टेशन तक छोड़ती है