गहलोत ने छह विधायकों को बनाया अपना सलाहकार, विपक्ष के विरोध के बाद राज्यपाल ने मांगा जवाब
गहलोत ने छह विधायकों को बनाया अपना सलाहकार, विपक्ष के विरोध के बाद राज्यपाल ने मांगा जवाब

गहलोत ने छह विधायकों को बनाया अपना सलाहकार, विपक्ष के विरोध के बाद राज्यपाल ने मांगा जवाब
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छह सलाहकारों की नियुक्ति पर विवाद खाड़ हो गया है। गुरुवार को राज्य के राज्यपाल कलराज मिश्र ने एक साथ छह सलाहकारों की नियुक्ति पर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। दूसरी ओर बीजेपी ने छह सलाहरकारों की नियुक्ति को असंवैधानिक बताया है और कहा है कि अगर इसे रद्द नहीं किया गया तो वो कोर्ट का रुख करेगी।रविवार को कैबिनेट में फेरबदल करने केछ घंटे बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छह सलाहकारों की नियुक्ति की जिसमें तीन कांग्रेसी विधायक हैं और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं। छह सलाहकारों में कांग्रेस विधायक जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा और दानिश अबरार हैं जबकि निर्दलीय विधायक में बाबू लाल नागर, संयम लोढ़ा और रामकेश मीणा शामिल हैं राज्यपाल कार्यालय के अधिकारी ने कहा कि विपक्ष के डिप्टी लीडर राजेंद्र राठौर की ओर से सौंपे गए ज्ञापन के आधार पर राज्यपाल ने सलाहकारों की नियुक्ति की संवैधानिक स्थिति पर सरकार से स्पष्टता मांगी है। ज्ञापन में डिप्टी लीडर ने आरोप लगाया है कि सीएम के सलाहकार के रूप में विधायकों की नियुक्ति असंवैधानिक है।
विपक्ष ने बताया संविधान का उल्लंघन
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसा करके संविधान का उल्लंघन किया है और छह विधायकों को कैबिनेट या राज्य मंत्री रैंक के बराबर मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त करके उन्हें लाभ का पद दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार में कैबिनेट और राज्य मंत्री स्तर के एक दर्जन संसदीय सचिवों की नियुक्ति की भी संभावनाएं हैं। राठौर ने कहा कि सलाहकारों और संसदीय सचिवों की ये नियुक्तियां संवैधानिक मानदंड का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि सरकार में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15 प्रतिशत तक हो सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को नाराजगी और कलह का सामना करना पड़ा है और अब वे असंतुष्ट विधायकों को शांत करने और उनको खुश करने के लिए संविधान में निर्धारित सीमा को लांघते हुए ऐसी नियुक्तियां कर रहे हैं।
राज्यपाल से नियुक्तियों को रद्द करने की मांग
राठौर ने कहा, 'हमने राज्यपाल से इन सलाहकारों की निुयुक्तियों को रद्द करने और राज्य सरकार को संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं करने के लिए बाध्य करने की मांग की है। यदि नियुक्तियां रद्द नहीं की जाती हैं तो हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।' राठौर ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के कई फैसलों का भी जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने लाभ के पद के बारे में स्थितियां स्पष्ट की हैं।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी साधा निशाना
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जरूरत तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर ऐसे पदों (संसदीय सचिवों या लाभ के किसी अन्य पद) से संबंधित निर्णय दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार स्पष्ट रूप से संविधान का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर छह विधायकों को दिए गए सलाहकार पदों को राज्य या कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया जाता है तो यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह सरकार का खुद को अंदरूनी कलह से बचाने का प्रयास है।