भारत जैसे देश में आज भी आजादी के बाद अपने ही देश में अपराधी की जिंदगी बिता रहे करोड़ों लोग

In a country like India, even after independence, crores of people are living the life of criminals in their own country.

भारत जैसे देश में आज भी आजादी के बाद अपने ही देश में अपराधी की जिंदगी बिता रहे करोड़ों लोग

भारत जैसे देश में आज भी आजादी के बाद अपने ही देश में अपराधी की जिंदगी बिता रहे करोड़ों लोग

आज भी आजादी के बाद अपने ही देश में अपराधी की जिंदगी बिता रहे करोड़ों लोग जी हां भारत जैसे आजाद देश में जहां पूरा भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है वही आज भी करोड़ों लोग अपराधी की जिंदगी बिताने को मजबूर हैं जो आज भी कानून की नजर में अपराधी ही समझे जाते हैं और बार-बार कानून का शिकार होते हैं ऐसा क्यों दरअसल उनको अपने पूर्वजों के मिले रिवाजों और अखंड भारत में राजा रजवाड़ों के सहयोग की सजा मिल रही है जी हां जब अखंड भारत में मुगलों तुर्को और विदेशी डकैतों लुटेरो से जब भारतीय हिंदू साम्राज्य रियासतें लोहा ले रही थी उन्हें भारत से खदेड़ा जा रहा था या तब 16-17 शताब्दी में भारत जैसे सोने की चिड़िया को लूटने के लिए ब्रिटिश दोगले व्यापारी यो का आगमन हुआ जिन्होंने दोस्त बनकर हिंदुस्तान में खूनी खेल खेला और पीठ पर खंजर घोप कर गुलाम बनाया 16 से 17 वीं शताब्दी में अंग्रेजों के भारत गुलाम बनाओ अभियान में जब बार-बार अभियान फेल होता था और  राजा या स्वतंत्रता सेनानी हावी होते थे तो रजवाड़ों और स्वतंत्रता सेनानियों को कमजोर करने के लिए अंग्रेजों ने गुप्त चोरों और जयचंदो( लालची और सत्ता भोगी लोगों ) से पता किया तो पता चला कि इनके पीछे की ताकत शस्त्र निर्माण सप्लाई समुदाय और जंगली जानवरों के जानकार व पालक जैसे समुदाय वह विभिन्न जानवरों के चेहरों के विशेषज्ञ समुदाय वह समुदाय जो इनको संरक्षण शस्त्र देने वाले समुदाय है जिनको रोकने के लिए  चिन्हित किया गया जिन्हें डीएनटी का क्रिमिनल कास्ट  भी कहा जाता है अंग्रेजों ने उन सभी समुदाय को जो रियासत और राजाओं स्वतंत्रता सेनानियों को सहयोग करते थे उन्हें क्रिमिनल कास्ट आदतन अपराधी समुदाय घोषित कर दिया गया 
जब 19 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत नहीं संभला तो ब्रिटिश सरकार ने भारत को गुलाम बनाने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली और 1869 में लॉर्ड मेयो को कोलकाता में भारत के चौथे वायसराय के रूप में नियुक्त किया गया 
जो भारत में जातीय जनगणना कर रहे थे या यूं कहें कि जिन्होंने भारत में जाति जनगणना शुरू की जिससे कुछ समुदाय को स्वतंत्रता सेनानियों का के तौर पर या सहायता करने के संदेश पर क्रिमिनल कास्ट या क्रिमिनल घोषित किया गया और 1871 में यह कानून पूरे भारत में लागू किया गया भारत में स्वतंत्रता की मांग व उनकी सहायता करने वाले को आदतन अपराधी समुदाय घोषित कर दिया गया
 जिसमें कुछ समुदाय जैसे लोहार, सिकलीगर लोहार, सिकलीगर, सपेरा, मदारी, शिकारी, कालबेलिया, गमेती,  भील, जैसे समुदाय आते हैं और भी समुदाय हैं वर्तमान में सरकारी गैर सरकारी विभागों के आंकड़ों के अनुसार यह कुल 1500 समुदायों मैं बटे  हुए हैं 15 करोड़ भारतीयों का आंकड़ा है जो आज भी क्रिमिनल कास्ट की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं और इसी कानून और के तहत वर्तमान में सरकारी विभाग व कानून इनको उसी नजर से देख कर प्रताड़ित करते हैं इनके साथ व्यवहार करते हैं इसका दुष्परिणाम वर्तमान सरकार जब कागजी डॉक्यूमेंट दस्तावेजों की मांग करती है सरकारी गैर सरकारी लाभ देने के लिए तो इनके पास आज भी कोई पुख्ता कागजी डॉक्यूमेंट नहीं मिलते क्योंकि स्वतंत्रता के लिए यह  स्वतंत्रता सेनानियों के साथ घूम कर या सहयोग कर जंगलों में छिपकर जीवन यापन करते थे जिससे इनके पूर्वजों के वह समुदायों के कागजी दस्तावेज नहीं मिल पाते क्योंकि अंग्रेजों के पहले भी भारत में मुगलों और तुर्को ने आक्रमण कर कई इतिहास मिटा दिया कई रियासतें उजाड़ दी इसलिए बहुत कम मात्रा में इनके डॉक्यूमेंट मिलते हैं जिससे वास्तविक जनगणना नहीं हो पाती है और यह जनगणना से वंचित रह जाते हैं और सरकारी योजनाओं व लाभों से भी वंचित रह जाते हैं 
  इनके ऊपर हुए अत्याचार जब स्वतंत्र आंदोलन भारत में चल रहा था तो स्वतंत्रता सेनानियों को रोकने के लिए लॉर्ड मेयो ने क्रिमिनल एक्ट व क्रिमिनल कास्ट पूरे भारत में लागू किया गया जिसे पूरे भारत में लागू किया गया  इसी एक्ट के आधार पर चिन्हित कर या पता लगाकर इन्हें अपराधी घोषित किया जाता था इनके साथ मारपीट करना दंड स्वरूप मोटी रकम राशि वसूलना तथा इन्हें मजदूर बनाकर गुलामी करवाना तथा जो ना माने उन्हें मृत्युदंड देना जैसे दंड दिए जाते थे यह सिर्फ  इन्हीं के साथ नहीं इनकी फैमिली या परिवार में महिला और बच्चों के साथ में भी ऐसा ही व्यवहार किया जाता था