बेलूर मठ के उपाध्यक्ष स्वामी गौतमानंद जी महाराज द्वारा रामकृष्ण सेवा समिति द्वारा प्रार्थना सभाभवन मंदिर का उद्घाटन। सर्वधर्म समभाव ही रामकृष्ण परमहंस का मुख्य संदेश

बेलूर मठ के उपाध्यक्ष स्वामी गौतमानंद जी महाराज द्वारा रामकृष्ण सेवा समिति द्वारा प्रार्थना सभाभवन मंदिर का उद्घाटन। सर्वधर्म समभाव ही रामकृष्ण परमहंस का मुख्य संदेश
बेलूर मठ के उपाध्यक्ष स्वामी गौतमानंद जी महाराज द्वारा रामकृष्ण सेवा समिति द्वारा प्रार्थना सभाभवन मंदिर का उद्घाटन। सर्वधर्म समभाव ही रामकृष्ण परमहंस का मुख्य संदेश।
अप्रैल18, 2022, उदयपुर

आज सुबह 6:00 बजे प्रार्थना सभा हॉल का उद्घाटन किया गया। इसके लिए बेलूर मठ से 93 वर्षीय  स्वामी गौतमानंद जी महाराज वाइस प्रेसिडेंट रामकृष्ण मठ बेलूर पधारे। रामकृष्ण समिति की उदयपुर की अध्यक्ष श्रीमती  मंजूला बोर्दिया ने सबका स्वागत किया। कार्यक्रम में बोलते हुए विजयवाड़ा रामकृष्ण मिशन के सेक्रेटरी स्वामी हृदया नंद महाराज ने रामकृष्ण मिशन भावधारा के बारे में कहा । रामकृष्ण मिशन जयपुर के सेक्रेटरी स्वामी देवप्रयाग नंद महाराज ने कहा की रामकृष्ण भाव द्वारा एक जीवन पद्धति है। अपने आप को हम देश की सेवा में और समर्पित कर देते हैं और उन्होंने कई उदवर्णो द्वारा इसकी जानकारी दी। निस्वार्थ प्रेम को ठाकुर  ने मुख्य सूत्र बताया था , प्रेम और रिश्तो में ये भाव रखें। सबसे पहले राजस्थान में खेतड़ी में रामकृष्ण भावधारा शुरू हुई उसने मां शारदा, स्वामी विवेकानंद पधारे थे। स्वामी निर्विकारानंद जी महाराज सेक्रेटरी रामकृष्ण मिशन इंदौर ने कहा की हमें सोचना चाहिए हम जीवन से क्या चाहते हैं, हम सभी जीवन से  अखंड आनंद चाहते हैं, भगवान ही आनंद का स्रोत है , हम आनंद भगवान से प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि हम उन्हीं के अंश है। रामकृष्ण मिशन खेतड़ी से स्वामी आत्मानिष्ठानंद जी महाराज ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ठाकुर  के जीवन में सब कुछ मिलता है आध्यात्मिकता , प्रेम,  त्याग।  ईश्वर लाभ ही जिसका लक्षण है। और भगवान को केंद्र मानकर जीवन को परिचालित करें यही हमें इस में बताया जाता है। स्वामी गौतमानंदजी महाराज ने कहा कि जो साइंस और टेक्नोलॉजी को अहिंसा के लिए इस्तेमाल करना चाहिए । हमारी आत्मा अंदर से बोलनी चाहिए कि क्या ठीक है क्या नहीं? खराब रास्ते पर इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। विज्ञान का उपयोग में सही रास्ते के लिए करना चाहिए। भगवान में विश्वास और प्रार्थना हमें रखनी चाहिये। हम भगवान की संतान है सारी दुनिया भगवान का कुटुम्ब है, किसी को भी नहीं ठगना, झूठ नहीं बोलना , भगवान पर विश्वास रखना। हम भगवान के बच्चे हैं । हमारे अंदर हृदय की गरीबी नहीं होनी चाहिए। हमारा हृदय  प्रेम से परिपूर्ण होना चाहिए उससे तप बनता है और धर्म के रास्ते पर हम चलते हैं और इस जीवन में जो सुख और शांति मिलती है वह धर्म के रास्ते पर चलने से मिलती है।  सर्वधर्म सद्भाव इस युग का संदेश है और धर्म के रास्ते पर चलने से जो शांति और सुख मिलता है और सर्व धर्म ही सुधर्म होता है सर्वधर्म समन्वय ही इस युग का संदेश है। यह रामकृष्ण ने इसको अनुभूति द्वारा प्राप्त किया था उन्होंने कहा था कि जीवो पर सिर्फ दया ही नहीं करनी जीवो की सेवा भी हमें करनी चाहिए। नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसी से हमें परमात्मा मिलते हैं। इस प्रार्थना स्थल को बनाने में जिस का सहयोग रहा उसमेभवन के आर्किटेक्ट जे पी व्यास,  भामाशाह एम के अग्रवाल और राज लोढा, सुधर्म धर्मशाला के व्यवस्थापक छगन लाल तातेड़, दीपक बोर्दिया कांट्रेक्टर, देवेंद्र जी, सालवी जी, कार्यकर्ता पवन पालीवाल , उनका सम्मान किया गया और अंत में पवन पालीवाल जी ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया और स्वामी जी ने जो बाहर से भक्त आए उनका भी अभिनंदन किया । सबने स्वामी जी को प्रणामी भेंट की उसके बाद में पूर्णाहुति और पुष्पांजलि हुई और शाम को भजन और आरती संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश प्रदेश से करीब 500 भक्तगणों ने भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ विनया पेंडसे, बी पी पालीवाल, डॉ चंचल जैन, डॉ लक्ष्मी झाला, डॉ कमल सिंह राठौड़, डॉ मेघश्याम भी मौजूद थे।