मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक समस्या बन चुकी है, मुझे व्यथित होकर कहना पड़ रहा है कि इंसान तनाव के तले इतना दब चुका है कि आत्म हत्याओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक समस्या बन चुकी है, मुझे व्यथित होकर कहना पड़ रहा है कि इंसान तनाव के तले इतना दब चुका है कि आत्म हत्याओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

मेडिटेशन वैक्सीनेशन की तरह है, जो अवसाद-तनाव को पहले ही रोक देता है, सभी धर्म प्यार ही ईश्वर है पर एकमत हैं, जब आप प्रेम की सांस लेते हैं तो प्रेम की रेडिएशन बिखेरते हैं : दाजी

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने दाजी से जीवन, मानसिक स्वास्थ्य, स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर, दाजी के व्यक्तिगत अनुभव सहित कई सवाल किए  

फोटो
उदयपुर. श्रीराम चंद्र मिशन और हार्टफुलनेस संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश पटेल दाजी और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के बीच शनिवार शाम 6 से रात 8.15 बजे तक खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन पर विशेष परिचर्चा सिटी पैलेस स्थित दरबार हॉल में हुई। इसमें लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने दाजी से सीधे सवाल किए। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक समस्या बन चुकी है जवाब में दाजी ने कहा मेडिटेशन वैक्सीनेशन की तरह है, जो अवसाद और तनाव को आने से पहले ही उसे रोकने का काम करता है। उन्होंने कहा कि सभी धर्म एक बात को लेकर एकमत हैं कि प्यार ही ईश्वर है। जब आप प्रेम की सांस लेते हैं तो प्रेम की रेडिएशन बिखेरते हैं और इसे ह्रदय की गहराइयों में उतारने के लिए ध्यान करिए। दाजी ने बच्चों और युवाओं के स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर के शिकार होने के सवाल के जवाब में कहा कि ध्यान बच्चों और युवाओं को स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर से भी बचा सकता  है, लेकिन इसका महत्व अभिभावकों को पहले बताना होगा। कार्यक्रम के आखिर में दाजी की पुस्तक विज्डम ब्रिज का दाजी और लक्ष्यराज सिंह ने लोकापर्ण किया गया है। इस दौरान लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की पत्नी निवृत्ति कुमारी मेवाड़, आईजी प्रफुल्ल कुमार, एएसपी राजेश भारद्वाज, डिप्टी जीतेंद्र आंचलिया, आरएएस अफसर मुकेश कलाल सहित करीब 250 अफसर और प्रबुद्धजन मौजूद थे।    
 
-लक्ष्यराज : आपके अनुसार एक शब्द में जीवन क्या है, जीवन के गहरे ज्ञान के बारे में विस्तार से बताएं?
-दाजी : जीवन एक अनुभव है, लेकिन विशेष तौर पर कहूं तो कहा जाता है कि जीवन से भरा हुआ व्यक्ति। वाह क्या रेडिएशन है जो व्यक्ति अपने साथ लेकर चलता है। क्या आप प्रेम विहीन व्यक्ति और प्रेम पूर्ण व्यक्ति के बीच का अंतर जानते हैं ? अगर आप किसी लालची व्यक्ति के साथ रहेंगे तो उसके साथ नहीं रह पाएंगे। ऐसे लोगों के साथ जुड़ना चाहेंगे जो प्रेम पूर्ण हों और प्यार बांटते हों, जिससे जीवन और भी जीवंत हो सके। कोई व्यक्ति तब तक जीवित नहीं है जब तक उसमें प्रेम नहीं है। सभी धर्म एक बात को लेकर एकमत हैं कि प्यार ही ईश्वर है। जब आप प्रेम की सांस लेते हैं तो प्रेम की रेडिएशन बिखेरते हैं। तब जीवन सफल है, अन्यथा मृत शरीर की तरह घूमते रहते हैं।

-लक्ष्यराज : आज अमूमन बच्चों-युवाओं में विजन के नाम पर टेलीविजन और गेम के नाम पर वीडियो गेम की अवधारणा देखी जा रही है, जिससे स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं, इससे कैसे बचाया जा सकता है?
-दाजी : यह डिजिटल टॉक्सीसिटी की बात है। उसे कैसे डीटॉक्सीफाई कर सकते हैं। इसकी एक अप्रोच मेडिटेशन है, जो आपकी अंतरात्मा को संबोधित करता है। व्यक्ति में जब तक विवेक नहीं होगा तब तक सही और गलत, फायदे और नुकसान में फर्क करना नहीं सीख पाएगा। जब आप आंखें बंद करते हैं और पूछते हैं कि क्या यह मेरे लिए सही है तो उत्तर ह्रदय की गहराइयों से आता है। मेडिटेशन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से दिल और अंतर्मन को संवेदित करके आपकी सहायता करता है। यदि आप किसी भी चीज के बारे में सोचते हैं चाहे वह डिजिटल हो या फिजीकल, परिजनों या समुदाय का ध्यान रखना हो या कारोबार करना, एक मेडिटेटेड हृदय सही तरह से मार्गदर्शन दे सकता है। मेडिटेशन इस बात को रेखांकित करता है कि चीजें कहां गलत हो सकती हैं और कहां सही। मेडिटेशन किसी को भी स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर के शिकार होने से आसानी से बचा सकता है।

-लक्ष्यराज : मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक समस्या बन चुकी है, मुझे व्यथित होकर कहना पड़ रहा है कि इंसान तनाव के तले इतना दब चुका है कि आत्म हत्याओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है

, इस पर भी ध्यान से काबू पाया जा सकता है?
-दाजी : वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती है। अभिभावकों के लिए भी एक स्कूल खोला जाए। आप बताएं कि जीवन को उन्नत बनाने के लिए तथा आज के समय की बीमारियों से निजात पाने के लिए मेडिटेशन को कैसे आकर्षक बनाया जाए कि लोग उसे जीवन शैली के रूप में अपना लें। अगर आप अवसाद में हैं या तनावग्रस्त हैं तो मेडिटेशन आपकी सहायता नहीं कर सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि आप तनावग्रस्त हो उससे पहले ही इस बात को समझ लें। मेडिटेशन वैक्सीनेशन की तरह है, जो अवसाद और तनाव को आने से पहले ही उसे रोकने का काम करता है। अवसाद ग्रस्त और तनाव ग्रस्त व्यक्ति हमेशा एक समस्या से दूसरी समस्या के बारे में सोचता रहता है। अगर उस समय उससे मेडिटेशन के दौरान ईश्वर की बात करेंगे तो उसके लिए वह एक दीवार से बात करने जैसा है। मेडिटेशन एक बेहतर एटीट्यूड को सृजित करता है।

-लक्ष्यराज : आप कई मिलियंस लोगों के जीवन में ध्यान के जरिए खुशहाली ला रहे हैं, लेकिन आपके जीवन में ऐसा क्या मोड़ आया कि आप जॉब छोड़कर इस ध्यान की दुनिया में रम गए?
-दजी : इसे मैंने सुना नहीं थाा, बल्कि यह हो गया। एक छात्र के रूप में मैंने पढ़ाई की, एक परिवारिक व्यक्ति के रूप में मैंने परिवार की परंपराओं का निर्वाह किया, एक बिजनेसमैन के रूप में मैंने अपने व्यापार को चलाया। यह सारी चीजें एक साथ चल सकती हैं। लेकिन यह सब बाहरी चीजें हैं, 87 चीजें हैं जिन्हें हमने बहुत ज्यादा महत्व दे रखा है। मैंने यह पाया कि आध्यात्मिक जीवन एवं भौतिक जीवन दोनों एक साथ चल सकते हैं। हमें अपने परिवार या बिजनेस को नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन आध्यात्म जीवन को भी नहीं भूलना चाहिए। सुबह और शाम 20 मिनट के लिए आंखें बंद करके शांति से बैठ जाएं और ईश्वर की कृपा को प्राप्त करें। मेडिटेशन सबके लिए सुलभ है, इसमें कोई पक्षपात नहीं है, सिर्फ यही देखा जाता है कि मेडिटेशन करने वाले की मानसिक अवस्था क्या है। 99.99% लोग जो हमारे पास आते हैं वह मेडिटेशन के लिए तैयार हैं।