माताओं के पास भले ही मनोविज्ञान की डिग्री नहीं होती, लेकिन उनका तजुर्बा हर तनाव को दूर कर देता है : लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ 

Mothers may not have psychology degree, but their experience removes every tension: Lakshyaraj Singh Mewar

माताओं के पास भले ही मनोविज्ञान की डिग्री नहीं होती, लेकिन उनका तजुर्बा हर तनाव को दूर कर देता है : लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ 

माताओं के पास भले ही मनोविज्ञान की डिग्री नहीं होती, लेकिन उनका तजुर्बा हर तनाव को दूर कर देता है : लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ 

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया मनोविज्ञान से जुड़ी पुस्तक का विमोचन


उदयपुर. महाराणा प्रताप स्मारक समिति के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने गुरुवार को अर्चना शेखावत की मनोविज्ञान से जुड़ी पुस्तक एक्सीलरेटेड वैलनेस मास्टरी का विमोचन किया। कार्यक्रम में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि 15 वर्ष की उम्र में हमारे पास कोई मनोवैज्ञानिक नहीं हुआ करता था। हमारे लिए हमारी मनोवैज्ञानिक हमारी मां होती थीं। अमूमन माताओं के पास कोई औपचारिक मनोविज्ञान की डिग्री नहीं हुआ करती थी, लेकिन उनके पास लंबा तजुर्बा होता, जो हमारी हर परेशानी को दूर कर देता। जब भी कोई परेशानी होती है तो हम अपनी मां के पास चले जाया करते हैं। परीक्षा के 1 दिन पहले तनाव होने पर मां के पास अपनी परेशानी का हल ढूंढने जाते हैं तो समाधान निकल जाता है और वह तनाव को दूर कर देती हैं। हम हम तौर पर यह मानते हैं कि दोस्त वही जो हमारे दोषों का हरण कर ले। लेकिन फिर बाद में समझ आया कि हमारे दोष कोई पड़ोसी, रिश्तेदार या मित्र नहीं ओढ़ेगा, बल्कि हमें भी अपना दोस्त बनना पड़ेगा। उन्होंने अभिभावक होने की जिम्मेदारी पर बात करते हुए कहा कि माता-पिता बनना एक जिम्मेदारी का कार्य है, जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि माता-पिता बनना 10 किलोमीटर की मैराथन दौड़ ने जैसा होता तो शायद हमें यह बहुत कठिन कार्य लगता। कार्यक्रम में आईएमए के जिलाध्यक्ष डॉ आंनद गुप्ता ने कहा कि भारत का हर सातवां नागरिक अवसाद ग्रस्त है। कार्यक्रम में पुस्तक की लेखिका अर्चना शेखावत, अलका शर्मा आदि मौजूद थे।