आरटीआई का नियम 2005 सूचना का अधिकार लागू होने के बावजूद अधिकारियों की लापरवाही के तहत नहीं मिल रही सूचना आमजन को हो रही परेशानी
आरटीआई का नियम 2005 सूचना का अधिकार लागू होने के बावजूद अधिकारियों की लापरवाही के तहत नहीं मिल रही सूचना आमजन को हो रही परेशानी

आरटीआई का नियम 2005 सूचना का अधिकार लागू होने के बावजूद अधिकारियों की लापरवाही के तहत नहीं मिल रही सूचना आमजन को हो रही परेशानी
सूचना का अधिकार से नही मिल रही जानकारियां, भीनमाल बिजली विभाग अधिकारी कर रहें नियमों को तार तार
भीनमाल : सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार ऐसी जानकारी जिसे संसदीय विधान मंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है उसे किसी आम व्यक्ति को देने से भी मना नहीं किया जा सकता। शायद यह बात अब कागजों तक ही सीमित रह गया है। सूचना का अधिकार यानी सरल शब्दों में हक की लड़ाई आम लोगों के लिए भ्रष्टाचार के विरोध में एक हथियार का काम करती है,वहीं योजनाओं में बरती गई अनियमितताओं को दबाने छिपाने में पूरा एक वर्ग लगा रहता है। ऐसे ही कुछ एक मामले हैं,जिन्हें संज्ञान में लेने का वक्त भी संबंधित अधिकारियों के पास नहीं होता, या यह कह सकते हैं, कि जानकारी जानबूझकर नहीं दी जाती। ऐसा ही एक मामला जालोर जिले के भीनमाल बिजली विभाग से जुड़ा हुआ है जिसमे हितेश बिश्नोई के द्वारा 03 सिपतंबर 2021 सहायक आभियन्ता बिजली विभाग भीनमाल सूचना अधिकारी के समक्ष आरटीआई के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें बिजली विभाग में अनियमितता से समन्धित जानकारियां मांगी गई।आवेदक के अनुसार प्रथम समयावधि समाप्त होने तक कोई जानकारी नहीं दी गई, जिस पर आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी अधीक्षण अभियंता जालोर बिजली विभाग के समक्ष प्रथम अपील 8 अक्टूम्बर 2021 को पेश किया। जिसके संदर्भ में निश्चित समय अवधि तक पुनः कोई जानकारी नहीं मिली आज पर्यंत सूचना की जानकारी नहीं मिल पाने से आहत हितेश बिश्नोई ने कहा कि मैं बारंबार इस संबंध में प्रयास करता रहता हूं पर निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा लगा, वहीं सूचना का अधिकार मजाक का पर्याय बनकर रह गया है अधिकारियों को इस बात का बिल्कुल भी खौफ नहीं रह गया कि इससे उन पर कार्यवाही हो सकती है उन्हें इस बात का भय ज्यादा है की जानकारी देने के बाद बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा प्रारंभ हो जाएगा जिसे विभाग एक साथ मिलकर दबाने की कोशिश करता है ऐसे में सूचना का अधिकार नियम को ही बंद कर देना चाहिए जिसे दे पाने में प्रशासन सक्षम नहीं, व जानकारी पाने के लिए आम लोगों को दर-दर भटकना पड़े।