स्मृति:10 जून को हल्दीघाटी से रवाना होगी पराक्रम यात्रा 11 जून को चित्तौड़ होकर 3 राज्यों से गुजरती हुई 18 जून को प्रकट गंगा मुरैना में उसका चम्बल नदी में  विसर्जन किया जाएगा। 

स्मृति:10 जून को हल्दीघाटी से रवाना होगी पराक्रम यात्रा 11 जून को चित्तौड़ होकर 3 राज्यों से गुजरती हुई 18 जून को प्रकट गंगा मुरैना में उसका चम्बल नदी में  विसर्जन किया जाएगा। 

स्मृति:10 जून को हल्दीघाटी से रवाना होगी पराक्रम यात्रा 11 जून को चित्तौड़ होकर 3 राज्यों से गुजरती हुई 18 जून को प्रकट गंगा मुरैना में उसका चम्बल नदी में  विसर्जन किया जाएगा। 
एक साथ तीन पीढ़ियों के बलिदान की याद में निकाली जाएगी पराक्रम यात्रा हल्दीघाटी से मुरैना तक 1350 किलोमीटर चलेगी।

 एकमात्र युद्ध जिसमें एक दिन, एक समय , एक ही वंश की तीन पीढ़ियों का बलिदान हुआ। 


मुगल शासक अकबर के साथ हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के  साथ युद्ध मे ग्वालियर के  तोमर राम शाह पर शोध अध्ययन करने वाले गोपाल सिंह राठौड़ के अनुसार यह एकमात्र युद्ध है जिसमें किसी वंश की तीन पीढ़ी ने एक साथ, एक ही दिन, एक ही स्थान पर लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। मुगलों से ग्वालियर को आजाद कराने के लिए 18 साल संघर्ष के बाद राम शाह तोमर स्वतंत्रता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मेवाड़ चले आए जहां महाराणा उदय सिंह ने उन्हें शाहों के शाह की उपाधि से अलंकृत किया तभी से राम सिंह राम शाह तोमर कहलाए। अपनी एक पुत्री की शादी भी महाराणा उदय सिंह ने राम शाह तोमर के पुत्र शालिवाहन  के साथ की।  रामशाह तोमर ने अकबर के विरूद्ध हल्दीघाटी के युद्ध में मेवाड़ी सेना के दाई भाग का नेतृत्व किया था। इस युद्ध में 18 जून 1576 को राम सा अपने तीन पुत्रों शालीवाहन , भवानी सिंह एवं प्रताप सिंह व 16 वर्षीय पुत्र बलभद्र सिंह सहित प्रमुख सहयोगियों बाबू सिंह भदोरिया और दाऊ सिंह सिकरवार के  साथ वीरगति को प्राप्त हुए उस स्थान पर रक्त तलाई खमनोर में महाराणा संग्राम सिंह जी द्वितीय ने बाद में छतरियों का निर्माण करवाया था।

हल्दीघाटी के इन शहीदों को 10 जून निर्जला एकादशी के दिन पुष्पांजलि देकर रक्त तलाई की पावन बलिदानी मिट्टी को और समाधि के फूलों को एक  ताम्र कलश में रखकर वहां से रवाना होकर 10 जून रात्रि विश्राम चित्तौड़ करके 11 जून प्रातः 8:00 बजे भोपाल राजपूत छात्रावास से एडवोकेट एवं पूर्व प्राचार्य गोपाल सिंह राठौड़ के नेतृत्व में रवाना होकर निंबाहेड़ा, नीमच, मंदसौर ,जावरा, नागदा, उज्जैन, बड़नगर, बदनावर, धार, इंदौर, देवास, शाजापुर, गुना, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना होते हुए 18 जून को ऐसाह स्थित चिलाय माता के मंदिर के पीछे प्रकट गंगा में प्रवाहित किया जाएगा।

10 जून को बड़ी संख्या में  उदयपुर, नाथद्वारा, खमनोर, चित्तौड़ और आसपास से लोग सम्मिलित होकर देश एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान और हिंदू अस्मिता के लिए शहीद होने वाले इन वीरों के बलिदान को कलश पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि  अर्पित करेंगे और यात्रा को विदा करेंगे।