राष्ट्रीय बालिका दिवस पर समर्पित मेरी कविता स्वरचित।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर समर्पित मेरी कविता स्वरचित।

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर समर्पित मेरी कविता स्वरचित।
????????बेटियां????????
होती दिलों का मान मनुहार बेटियां।
हर घरों की शान बड़ी होनहार बेटियां।
मां बाप की दुलारी,घर का उजाला हैं।
क्यों ए कहते घर में मेहमान बेटियां।।
सुख दुख में आगे रहकर रिश्ते निभाती हैं।
आफ़त बिपत में बनती हैं परिधान बेटियां।।
हर ज़िगर की लाडली कोयल की कूक हैं।
मधुवन की हर कली सी मुस्कान बेटियां।।
बस नेह और दुलार से पुकार लो कभी।
दौड़ कर आएंगी उल्टे पांव बेटियां।।
जग में धरा पर शौर्य का प्रतिमान भी यहीं।
सत्यम,शिवम और सुंदरम सा नाम बेटियां।।
जी भर के आओ बेटियों को प्यार हम करें।
सारे जहां में अनुपम वरदान बेटियां।।
नव रूप नव दुर्गा सा कल्याणकारी है।
हर रूप में करती सदा कल्याण बेटियां।
न भेद बेटे बेटी में,कदापि हम करें।
जिज्ञासा हृदय की मेरे अभिमान बेटियां।
एडवोकेट गोपाल कोडेचा युवा कवि साहित्यकार एवं पर्यावरण प्रेमी बायतु जिला बाड़मेर राजस्थान