क्षेमंकरी माताजी ट्रस्ट के अध्यक्ष ठाकुर सरदारसिंह का निधन

क्षेमंकरी माताजी ट्रस्ट के अध्यक्ष ठाकुर सरदारसिंह का निधन

क्षेमंकरी माताजी ट्रस्ट के अध्यक्ष ठाकुर सरदारसिंह का निधन

क्षेमंकरी माताजी ट्रस्ट के अध्यक्ष ठाकुर सरदारसिंह का निधन

भीनमाल


भीनमाल में रहा नगर शोक,अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब
 राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल क्षेमंकरी माताजी ट्रस्ट के संस्थापक एवं आजीवन अध्यक्ष रहे ठाकुर सरदारसिंह ओपावत का शनिवार को स्वर्गवास होने से नगरभर में शोक की लहर छा गई। आज दिन में नगरवासियों ने शाही सम्मान के साथ सरदारसिंह को अंतिम विदाई दी।शासनिक राव समाज के गौरव और भीनमाल के पूर्व ठाकुर सरदारसिंह को 36 कौम एक समर्पित समाजसेवी, कुशल प्रशासक, इतिहासकार, शिक्षाविद्, ओजस्वी वक्ता एवं बुलंद हौसले वाले व्यक्तित्व के रूप में सदैव याद रखेगी।राव के आकस्मिक निधन से नगर को अपूरणीय क्षति पहुंची है।विशाल ट्रस्ट के आधारस्तम्भ और महान भक्त : कई दशकों पहले मां क्षेमंकरी ने सपने में आकर सरदारसिंह को प्रेरणा दी थी जिसके फलस्वरूप राव ने पहाड़ी पर बसे छोटे से मंदिर का कायाकल्प कर दिया।मां के वरदान और राव के अथक प्रयासों से यह तीर्थ स्थल प्रदेश के बड़े पर्यटक स्थलो में शुमार हो गया जो आज गुजराती भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। आज यहां हजारों लोग रोजगार प्राप्त करते हैं जिसका श्रेय सदारसिंह को जाता हैं।समर्पित समाजसेवी : ठाकुर सरदार सिंह ने आजीवन मां क्षेमंकरी माताजी की सेवा की है।इसके साथ ही इन्होंने अतिप्राचीन वाराहश्याम ट्रस्ट के उपाध्यक्ष, सीएलजी सदस्य, कुशल शिक्षक, महाकवि माघ स्मृति संस्थान के संरक्षक, कई राजनीतिक पार्टियों और भीनमाल के संगठनों का मार्गदर्शन किया हैं। राव ने नगरवासियों के हितों के लिए ट्रस्ट से करोड़ों रुपए स्वीकृत करवाए थे। 

दबंग व्यक्तित्व : नगर के कई प्रमुख फैसलों में राव के निर्णय को व्यापक जनसमर्थन प्राप्त था फिर चाहे वो बालसमंद की पाल का निर्माण हो या अति संवेदनशील सांप्रदायिक मुद्दा। सरदारसिंह के दबंग व्यक्तित्व के कारण ही आजतक खीमज माता की करोड़ों की भूमि भूमाफियाओं से सुरक्षित हैं।

शाही सम्मान के साथ विदाई : सरदारसिंह को रियासतकाल से ही "ताजिमी सरदार" और "भीनमाल के ठाकुर" की उपाधि प्राप्त थी। कुल परंपरा के अनुरूप ही शाही पालकी में ढोल नगाड़े की साथ नम आंखों से विदाई दी गई। शव यात्रा ईरानियों के मोहल्ले स्थित कोटड़ी से शुरू होकर बड़े चौहटे से होते हुए मुख्य बाजार से शमशान भूमि पर पहुंची