शिक्षा का उद्देश्य बच्चे का सर्वांगीण विकास एवं मानवता का विकास करना है: डॉ सारंगदेवोत
The aim of education is the all-round development of the child and the development of humanity: Dr. Sarangdevot

शिक्षा का उद्देश्य बच्चे का सर्वांगीण विकास एवं मानवता का विकास करना है: डॉ सारंगदेवोत
भूपाल नोबल्स संस्थान में नई शिक्षा नीति एवं
फाउंडेशनल साक्षरता और अंक ज्ञान पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी संपन्न
उदयपुर 10जून : भूपाल नोबल्स संस्थान में आज नई शिक्षा नीति पर राज्य स्तरीय सम्मेलन व संगोष्ठी संपन्न हुई। प्राचार्या डॉ. सीमा नरूका ने बताया कि सम्मेलन के उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री कर्नल प्रो.शिव सिंह जी सारंगदेवोत (वाइस चांसलर जनार्दन राय नागर विद्यापीठ) विशिष्ट अतिथि श्रीमति कविता पाठक (डायरेक्टर, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ) एवं श्री कमलेंद्र सिंह जी (डिप्टी डायरेक्टर, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान) थे। विद्या प्रचारिणी सभा, भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह जी आगरिया ने राज्य के सभी शिक्षाविदों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी का शुभारंभ किया। प्रो. सारंगदेवोत ने नयी शिक्षा नीति को वर्तमान वैश्विक परिवेश में आवश्यक बदलाव लाने वाली नीति बताया एवं प्रधान मंत्री जी द्वारा दिए हुए मार्गदर्शन का अनुकरण करने का आह्वान किया। श्रीमती पाठक ने प्राथमिक शिक्षा पर प्रकाश ड़ालते हुए बताया की यह नीति सभी के सहयोग से बनी हैं तथा इसका प्रत्येक अंग बच्चो के जीवन में सुधार लाने पर केंद्रित है। सम्मेलन में विभिन्न विद्यालयों से आए अध्यापकों ने नई शिक्षा नीति संबंधित मॉडल्स प्रदर्शित किए एवं विधार्थियो ने चित्रकला प्रदर्शनी, रंगोली, विचित्र वेशभूषा, एकाभिनय, क्विज प्रतियोगिता में भाग लिया। संगोष्ठी तीन चरणों में संपन्न हुआ। तीनों ही चरणों में क्रमशः नई शिक्षा नीति एवं फाउंडेशनल साक्षरता एवं सांख्यिकी पर चर्चा प्राथमिक शिक्षा में नवाचार किस प्रकार लागू किए जा सकते हैं, इस पर प्राइमरी अध्यापकों एवं 15 समन्वयकों के मध्य विचार विमर्श हुआ एवं जी-20 का महत्व एवं जी-20 अंतर्गत विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया एवं विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रतियोगिताएं हुई। सम्मेलन में लगभग 50 विद्यालयों के 280 बच्चों ने एवं 50 प्रिंसिपल, 300 अध्यापकों ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथि श्री कमलेन्द्र सिंह जी राणावत ने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चे का सर्वांगीण विकास करना एवं मानवता का विकास करना है, अच्छे अंक प्राप्त करना ही बच्चे की योग्यता को मापने की कसौटी नहीं होना चाहिए। बच्चे को जीवन जीने की कला सिखानी चाहिए। जीवन कौशलों का विकास करना चाहिए। बच्चों के कमजोर पक्ष को मजबूत बनाना चाहिए। जी-20 के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों का प्रयोग होना चाहिए। अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम होने चाहिए । शिक्षा 'करके सीखने के सिद्धांत' पर आधारित होनी चाहिए।इस अवसर पर महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के सीईओ संजय दत्ता ने कहा की शिक्षकों का दायित्व बनता है कि वे विद्यार्थियों को भारतीय प्राचीन शिक्षा पद्धति, संस्कार और संस्कृति आधारित शिक्षा से आत्मसात कराएं। संगोष्ठी में जयपुर, जोधपुर और अजमेर के मुख्य शिक्षा केंद्रों के प्रमुख विद्यालयों के प्राचार्य भी शामिल हुए। सम्मेलन के समापन समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता विद्यालयों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सेंट एंथनी स्कूल के प्राचार्य श्री विलियम डिसूजा ने समस्त शिक्षा अधिकारियों का धन्यवाद किया। सम्मेलन की शानदार सफलता पर संपूर्ण संस्थान के कार्यकारिणी सदस्यों, हनुमंत सिंह बोहेडा़, डॉ रेणु राठौड़, डॉ देवेंद्र सिंह सिसोदिया, डॉ.सीमा नरूका, डॉ मुरधर राठौड़, डॉ कमल राठौड़, संगीता शर्मा एवं संपूर्ण स्टाफ को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।