उदयपुर में छोटी गणगौर की पूजा संपन्न, 8 दिन की सेवा के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा

उदयपुर में छोटी गणगौर की पूजा संपन्न, 8 दिन की सेवा के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा

उदयपुर में छोटी गणगौर की पूजा संपन्न, 8 दिन की सेवा के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा
उदयपुर में छोटी गणगौर की पूजा संपन्न, 8 दिन की सेवा के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा
उदयपुर में छोटी गणगौर की पूजा संपन्न, 8 दिन की सेवा के बाद निकलेगी भव्य शोभायात्रा

उदयपुर, राजस्थान –

मेवाड़ की संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक गणगौर उत्सव की शुरुआत छोटी गणगौर की पूजा के साथ हो चुकी है। उदयपुर और आसपास के क्षेत्रों में महिलाओं और कुंवारी कन्याओं ने माता गणगौर की विधिवत पूजा कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

गणगौर पर्व का शिव-पार्वती से संबंध और आध्यात्मिक महत्त्व

गणगौर उत्सव का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संदेश शिव और पार्वती के अटूट प्रेम, त्याग और अखंड सौभाग्य से जुड़ा है।

पौराणिक कथा के अनुसार:

माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। उनकी आस्था, प्रेम और समर्पण से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें स्वीकार किया, और तभी से गणगौर पर्व स्त्रियों के लिए पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति का प्रतीक बन गया।

विवाहित महिलाएँ इस पर्व को अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए मनाती हैं। कुंवारी कन्याएँ माता पार्वती की तरह अपने लिए आदर्श जीवनसाथी की प्राप्ति की कामना करती हैं।

छोटी गणगौर: 8 दिनों की सेवा और साधना

गणगौर उत्सव की शुरुआत ‘छोटी गणगौर’ से होती है, जिसमें माता पार्वती के सौभाग्य, प्रेम और शक्ति का पूजन किया जाता है। इस दिन महिलाएँ गणगौर माता की मूर्ति को विधिवत पूजकर अपने घर ले जाती हैं, और फिर अगले 8 दिनों तक उनकी सेवा और पूजा करती हैं।

8 दिन तक माता की सेवा करने के बाद, ‘बड़ी गणगौर’ के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें गणगौर माता का पारंपरिक जल विसर्जन होता है।

गणगौर घाट का महत्व और इतिहास

गणगौर घाट, उदयपुर का एक ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ गणगौर माता की भव्य शोभायात्रा और जल विसर्जन का आयोजन होता है।

इतिहास की झलक:इतिहास की झलक:

गणगौर पर्व सदियों से मेवाड़ के राजपरिवार और आमजन दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण रहा है। राजपरिवार की महिलाएँ विशेष पारंपरिक विधि से गणगौर की पूजा करती हैं, और गणगौर घाट पर भव्य उत्सव आयोजित किया जाता है। यही कारण है कि इस घाट को ‘गणगौर घाट’ नाम दिया गया, क्योंकि यह स्थल सदियों से इस धार्मिक परंपरा का साक्षी रहा है।

आने वाले दिनों में गणगौर उत्सव की भव्यता

  • 8 दिन तक महिलाएँ माता गणगौर की सेवा करेंगी।
  • बड़ी गणगौर के दिन शहर में भव्य शोभायात्रा निकलेगी।
  • लोकनृत्य, झांकियाँ और मेले का आयोजन किया जाएगा।
  • गणगौर घाट पर गणगौर माता का पारंपरिक जल विसर्जन होगा।

गणगौर उत्सव, मेवाड़ की संस्कृति और परंपराओं का भव्य उत्सव है, जो न केवल आस्था से जुड़ा है बल्कि लोककला, संगीत और राजस्थान की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाता है