क्या है CTA और क्यों अपने ही देश में आज भी अपराधी की तरह जीवन बिताने में मजबूर है कई समुदाय
What is a CTA and why many communities are still forced to live like criminals in their own country

क्या है CTA और क्यों अपने ही देश में आज भी अपराधी की तरह जीवन बिताने में मजबूर है कई समुदाय
CTA भारतीय इतिहास का वह कानून जिसने अपने ही देश में कई लोगों को या यूं कहें कई समूह को अपराधियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया......
CTA = अपराधिक जनजाति अधिनियम आदतन अपराधी कास्ट
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन से मुगलों का पतन होना शुरू हो गया वह भारतीयों में भी ईस्ट इंडिया कंपनी को लेकर कई स्वतंत्रा सेनानियों ने आंदोलन शुरू कर दिया इन सभी की रोकथाम व ईस्ट इंडिया व ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों को युद्ध में हथियार सप्लाई हथियार निर्माण व उनमें सहयोगी रहे सभी लोगों को पहचानने व ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश रचने की कोशिश को रोकने के लिए सन 1871 में भारत में चौथे वायरसराय लॉर्ड मेयो को नियुक्त किया गया लॉर्ड मेयो ने इन सब गतिविधियों को रोकने के लिए (CTA) अपराधिक जनजाति अधिनियम को लागू कर दिया...
इस अधिनियम से अपने ही देश में अपने लिए आंदोलन व स्वतंत्रता की मांग करने पर अपराधिक श्रेणी में डाल दिया जाता था तथा उनके ऊपर कड़ा प्रतिबंध और सजा एवं दंड लगाकर उनकी आवाज को दबा दिया जाता था दंड स्वरूप अत्यधिक मूल्य भी हो सकता था या फिर सजा के तौर पर उनकी बेरहमी से पिटाई भी की जा सकती थी कुल मिलाकर आवाज को दबाना यहां पर यही मकसद था
कौन-कौन से समूह व जातियां इसका शिकार हुई क्रिमिनल एक्ट मैं वे सभी लोग जो स्वतंत्रता सेनानियों को सहायता करते थे तथा उनके लिए हथियार उपलब्ध कराते थे और वह समुदाय जो मुगलों के सेना में हथियार बनाना जानते हो या उनकी सेना में सहयोगी रहे हो वे सभी क्रिमिनल एक्ट के तहत आदतन अपराधी घोषित कर दिए गए
इस एक्ट में 1924 को कुछ बदलाव कर पूरे भारत में इसको लागू कर दिया गया....
क्या वजह रही पीके को पूरे भारत में लागू करने की..
जब ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में आगमन से मुगलों का पतन होना शुरू हो गया जिससे मुगल पीछे हटते गए अब मुगल तो पीछे हट गए पर इनके सेना में सहयोगी रहे सैनिकों को इन्होंने यहीं पर स्वतंत्र जीवित रहने के लिए छोड़ दिया यह सैनिक जंगलों में रहने लगे इनको हथियार चलाना आता था
जिससे क्षेत्रीय जनता और ब्रिटिश सरकार को इनसे भय होने लगा तथा यह अपना जीवन जंगली जानवर छोटे-मोटे जी जैसे खरगोश और तीतर जैसे जानवरों पर अपना जीवन यापन करते थे कभी-कभी यह क्षेत्र शहर में भी घुस जाते थे और लूटपाट की स्थितियां भी पैदा कर देते थे इन सब को रोकने के लिए वह इनमें स्वतंत्रता सेनानियों के छुपने के संदेश उनकी पहचान के लिए..
ईस्ट इंडिया कंपनी को यह अधिनियम क्रिमिनल एक्ट. ( CTA ) पूरे भारत में लागू करना पड़ा और इसी एक्ट के माध्यम से इन्होंने उन सभी स्वतंत्र सेनानियों को और उनके सहयोगी रहे सैनिकों को वह उनके लिए शस्त्र निर्माण सैनिकों को भी अंकित कर के इस अधिनियम के तहत आदतन अपराधिक घोषित कर दिया गया...
इन सभी की पहचान व रोकथाम के लिए हर क्षेत्र में पुलिस चौकी व ग्राम पंचायत मैं इनको उपस्थित होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भी बाध्य किया गया यदि कोई अपने समय अनुसार उपस्थित नहीं होता तो उसे मनमर्जी से दंड दिया जाता था दंड में अत्यधिक मुद्रा या फिर बेरहमी से पिटाई कर उन्हें सजा दी जाती थी..
वर्तमान स्थिति में क्रिमिनल एक्ट 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने पर 31 अगस्त 1952 में इसे हटा दिया गया तथा सभी 191 समुदाय को विमुक्त कर बंदी शिविरों से छोड़ दिया गया लेकिन साक्षरता की कमी है और इतने वर्षों से पीड़ा सहते सहते कई समूह आज आदतन अपराधी बन गए और उसी केटेगरी में गिने जाते हैं और सरकार भी उनको इसी कैटेगरी में गिन कर उनके साथ आज भी वैसा ही व्यवहार करती है जैसा कि ईस्ट इंडिया कंपनी के समय से होता आया है
वर्तमान में सरकारी योजनाओं का अभाव
दरअसल 200 वर्षों से प्रताड़ित होते होते और घुमक्कड़ की जिंदगी के कारण उनके पास वास्तविक दस्तावेजों का सही आकलन नहीं मिलने से सरकार के आंकड़े में सही आकलन नहीं होने के कारण आज भी वे सरकारी लाभ से व योजनाओं से वंचित रह जाते हैं और इन्हें लाभ नहीं मिल पाते हैं...
कौन-कौन से समुदाय आते हैं इनमें
सबसे अत्यधिक आबादी लोहार समुदाय से जो शस्त्र निर्माण व शस्त्र निर्माण में सहयोगी रहे कारीगर इस केटेगरी में गिने जाते हैं यही वजह है कि कई लोहार समुदाय में आज भी सरकारी आंकड़ों में अंकित नहीं है उनका सही आकलन नहीं हो पा रहा है तथा साक्षरता की कमी के कारण आज भी उन समूह में अपनी वर्तमान स्थिति को सही आकलन करने के लिए सही निर्णय की कमी देखी जा सकती है और वर्तमान में इन्हें आज भी इनके साथ दूर व्यवहार किया जाता है तथा राजनीतिक फायदे के लिए इनके वोट बैंक को सिर्फ और सिर्फ इन्हें कुछ मदिरा और पैसे के लालच देकर छीन लिए जाते हैं
वर्तमान 2021-22 सर्वे रिपोर्ट के अनुसार
लगभग 1500 समुदाय है और देश की 10% आबादी यानी कि 15 करोड लोग इस कैटेगरी में आज भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं
आजादी के अमृत महोत्सव के 75 वर्ष पूर्ण होने पर भी आज भी यह समुदाय डेढ़ सौ वर्षो से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और आज भी इनके समुदाय गुमनामी में जी रहे हैं........