सुंदर विचारों से ओतप्रोत सृजनात्मक मस्तिष्क के साथ मजबूत बनिये और नया देश बनाइये: महाराजा डॉ. कर्णसिंह

इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण से सम्मानित एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सदस्य, सम्मानित राजनेता और प्रसिद्ध दार्शनिक महाराजा जम्मू एवं कश्मीर डॉ. कर्ण सिंह ने दीक्षांत उद्बोधन में युवाओं से कहा कि जब तक आप अपना निर्माण नहीं करोगे, तब तक आप इस योग्य नहीं बनोगे कि आप इस भारतवर्ष का निर्माण कर सको।

सुंदर विचारों से ओतप्रोत सृजनात्मक मस्तिष्क के साथ मजबूत बनिये और नया देश बनाइये: महाराजा डॉ. कर्णसिंह

प्रेस विज्ञप्ति
- सुंदर विचारों से ओतप्रोत सृजनात्मक मस्तिष्क के साथ मजबूत बनिये और नया देश बनाइये: महाराजा डॉ. कर्णसिंह
- भारतवर्ष के निर्माण का जिम्मा युवाओं पर- महाराजा डॉ. कर्णसिंह 


-सभी दिशाओं से आने वाले अच्छे विचारों का स्वागत कीजिए व लोक कल्याण में आगे बढ़िये -ःकर्नल प्रो. सारंगदेवोत 
- गोल्ड मेडल एवं पीएचडी उपाधियों में बेटियों ने मारी बाजी 


- 147 में से 131 स्वर्ण पदक , 224 पीएच.डी. में से 154 बेटियों के नाम


- भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के पहला दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन


उदयपुर, 27 मार्च, 2025. उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित उदयपुर के भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन  गुरूवार को  भूपाल नोबल्स संस्थान के महाराणा प्रताप खेल मैदान पर भव्य आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ,  जिसमें देशभर से प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति रही। दीक्षांत समारोह बेटियों के नाम रहा। 147 में से 131 स्वर्ण पदक बेटियों को मिले तो सबके चहरे खिल उठ,े तालियों की गड़गड़ाहट से पांडाल गूंज उठा, नारी शक्ति की जय-जयकार हो उठी। 224 को पीएच.डी की उपाधि प्रदान की गई जिसमें से 154 बेटियों के नाम रही। इसमें भी 68.75 प्रतिशत अर्थात 154 पीएचडी सिर्फ बेटियों ने प्राप्त कर पचरम फहरा दिया।


इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण से सम्मानित एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सदस्य, सम्मानित राजनेता और प्रसिद्ध दार्शनिक महाराजा जम्मू एवं कश्मीर डॉ. कर्ण सिंह ने दीक्षांत उद्बोधन में युवाओं से कहा कि जब तक आप अपना निर्माण नहीं करोगे, तब तक आप इस योग्य नहीं बनोगे कि आप इस भारतवर्ष का निर्माण कर सको। अपना निर्माण आपको हर प्रकार से करना होगा। अपने शरीर को स्वस्थ रखो। अपने शरीर को तंबाकू से दूर रखो।

तंबाकू का जहर दोगे तो फेंफडे खराब हो जाएंगे, शराब पिओगे तो लिवर खराब हो जाएगा। नशीले पदार्थ खाएंगे तो दिमाग खराब हो जाएगा। स्वस्थ रहिये ताकि देश सेवा में लग सकें। दिमाग को चतुर बनाइये। बदलते दौर में अपने दिमाग को तेज बनाइये। उसका सृजनात्मक प्रयोग लगातार कीजिए, सीखिये जितना कुछ हो सके। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, मैं आज तक सीखता ही जा रहा हूं। जहां से अच्छे विचार आएं, हमें सीखना चाहिए। शरीर को बनाइये, मस्तिष्क को बनाइये।

घृणा, गुस्सा, दुश्मनी द्वेश बढ़ते जा रहे हैं जो हमारे समाज के लिए अच्छे नहीं है। जो घृणा से भरे होते हैं वे घ्रणा फैलाते हैं, जो प्रेम से भरे होते हैं वे प्रेम का प्रसार करते हैं। जो अलगांववाद की बात करते है। धर्म वर्ण के नाम पर हमारे समाज में घृणा फैलाने की कोशिश करते हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत विविधताओं का देश है फिर भी उसमें एकता है। हमें यह एकता कायम रखती है। मेरी उम्र स्वतंत्र भारत से ज्यादा है।

किस प्रकार से आजादी से पहले घृणा, नफरत, अलगांववाद की बातें चलीं व अंत में तीन हिस्से भारतवर्ष के हो गए, लाखों लोग बेघर हो गए। ये होता है परिणाम घृणा का। हमें जो भारत मिला है वह बड़े बड़े देशभक्तों के त्याग व बलिदान का परिणाम है। मैंने जवाहरलाल नेहरू से नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्री देखे, सबने भारत निर्माण में योगदान किया। युवाओं की जिम्मेदारी है कि रचनात्मक मूल्यों को अपनाए नकारात्मकता मूल्यों को ना अपनाएं। किसी भी धर्म, वर्ग के हों, कोई भी कार्य करते हों, आध्यात्मिक मार्ग को अपनाएं। कई लोग पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं लेकिन अपने अंदर नहीं देखते हैं कि अंदर शक्ति क्या है। दस मिनट एकांत में बैठकर अपने परब्रह्म का स्वरूप तो देखिये। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हरेक प्राणी के भीतर ईश्वर का निवास है।  जीवन में उतार चढ़ाव आते रहेंगे। गमों का दौर भी आए तो मुस्कुरा के चलो, ना मुंह छुपा के चलो, ना सिर झुका के चलो। विश्वविद्यालय आपकी चेतना का प्रतिबिंब है। नए देश को बनाइये, आगे बढ़िये। आज के युवक दुखी है, चारों ओर हिंसा, भ्रष्टाचार है लेकिन आपको घबराना नहीं है। निरंतर अपने जीवन पथ पर चलते रहिये, सफलता जरूर मिलेगी। उठो-जागो और कठिन रास्तों पर संकल्प के साथ आगे बढ़ो। 


समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि महाराजा डॉ. कर्णसिंह, चेयरपर्सन कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, मंत्री महेन्द्र सिंह आगरिया,  प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, अध्यक्ष डॉ. चेतन सिंह चौहान, रजिस्ट्रार डॉ. एन.एन. सिंह द्वारा पंडित प्रो. परमानंद भारद्वाज के मंत्रोच्चारण के साथ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। 


समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने कहा कि 1923 में वंचित वर्ग को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से तात्कालीन महाराज कुंवर भूपाल सिंह ने नोबल्स विद्यालय की स्थापना हुई जिसे  2015 में राजस्थान सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया। उन्होंने कहा कि साहित्यिक, सांस्कृतिक, वन शिविर, इंडस्ट्रियल विजिट, जन जागरूकता कार्यक्रम, नॉलेज शेयरिंग आदि में हमारा विश्वविद्यालय बेस्ट प्रैक्टिस के तहत एमओयू साझा कर रहा है। हमें गर्व है कि 90 प्रतिशत गोल्ड मेडल छात्राओं ने जीते हैं। पीएचडी धारक भी 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।

सत्य यह है कि नारी संपूर्ण राष्ट्र को सही दिशा दिखा रही है। हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता में शिक्षक को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है। हमारे वेद, उपनिषद, भगवद गीता में ज्ञान का आदर्श और उद्देश्य हमें गहरे स्तर पर समझाया गया है। वेदों में शिक्षा का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हमारे जीवन का सर्वोत्तम उद्देश्य सत्य और ज्ञान की प्राप्ति है और यही शिक्षा का असली लक्ष्य भी है। यही कारण है कि वेदों में शिक्षा को आत्मा के आंतरिक प्रकाश के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे हम खुद को पहचानने और संसार की सच्चाई को समझने में सक्षम होते हैं।


दीक्षांत आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। आज का दिन आपकी मेहनत, लगन और समर्पण का प्रतीक है। यह क्षण आपके लिए गर्व, प्रेरणा और आभार का है। यह वह समय है जब हम अपने ज्ञान के उपहार को समाज में बांटने के लिए तैयार होते हैं। यह एक ऐतिहासिक पल है। दीक्षांत आपके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहां आप व्यक्तिगत विकास के साथ ही समाज और राष्ट्र के लिए अपनी भूमिका को समझते हैं। यह एक अवसर है जब आप अपने ज्ञान और मेहनत का जश्न मनाते हैं और साथ ही याद रखते हैं कि आप समाज को महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार हैं।

शिक्षा जीवन को प्रभावित करने वाली शक्ति है। उपनिषदों में कहा गया है कि तुम वही हो जिसे तुम ढूंढ रहे हो। शिक्षा हमें अपनी आत्मा की पहचान और सत्य की दिशा में मार्गदर्शन करती है। खुद को जानो, यही उपनिषद का संदेश है। असली ज्ञान हमारे भीतर है और शिक्षा इसे बाहर लाने में हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। शिक्षा समाज को बदलने का एक ताकतवर औजार है। हमें सभी दिशाओं से आने वाले अच्छे विचारों का स्वागत करते हुए उन्हें आत्मसात कर लोक कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए। कर्म से ही कुशलता प्राप्त होती है, विद्या से विनय। महाराजा कर्ण सिंह जी कश्मीर की ऐतिहासिक धरोहर के प्रतीक हैं और ऐसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है।

आपकी जीवन यात्रा, विचार और कार्यों के माध्यम से मानवता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता के संदेश दिए गए हैं। सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें अपनी शक्तियों का उपयोग करना चाहिए। वेदों में कहा गया है कि महापुरुष वे होते हैं जो अपने कार्यों के माध्यम से समाज में धर्म की स्थापना करते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों से शुद्धता प्राप्त होती है। यह श्लोक महाराजा कर्ण सिंह के जीवन आदर्श को प्रस्तुत करता है।
यह दिन संपूर्ण विश्वविद्यालय के लिए बहुत खास है। महाराणा भूपाल सिंह जी ने 103 वर्ष पूर्व इस लोकसेवी संस्थान की नींव रखी थी, जो आज 8658 विद्यार्थियों के साथ एक वटवृक्ष का रूप ले चुका है। कला, वाणिज्य, विज्ञान, कृषि, एजुकेशन, योग, लॉ, फिजिकल एजुकेशन सहित अनेक विषयों और संकायों में आज यहां शिक्षा प्रदान की जा रही है। विश्वविद्यालय अपने अकादमिक उत्कृष्टता से नई पहचान बना रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अपनाते हुए विश्वविद्यालय के संकायों ने 23 पेटेंट प्राप्त किए हैं, 2 कॉपीराइट्स हुए हैं, 33 पुस्तकें लिखी गई हैं, 28 अध्याय (चौप्टर्स) प्रकाशित किए गए हैं, और शोध कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हमारी शानदार फैकल्टी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं, फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 300 से ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित किए हैं। हमारे 250 से अधिक छात्र-छात्राओं ने विभिन्न खेलों में भाग लेते हुए पदक जीते हैं। एनसीसी में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में हमारे 9 छात्र-छात्राओं का चयन होना गौरव का विषय है।
दीक्षांत समारोह में शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गईं जबकि विभिन्न संकायों के मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदकों और विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 


समारोह से पूर्व अतिथियों द्वारा संस्थान परिसर में लगी भूपाल सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया, ततपश्चात एनसीसी केडेट्स द्वारा महाराजा डॉ. कर्णसिंह को  गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।  इसके बाद विश्वविद्यालय के परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार सेरेमोनियल रोबिंग हुई। 


चेयरपर्सन प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत द्वारा मुख्य अतिथियों का औपचारिक स्वागत एवं  समारोह की आधिकारिक घोषणा के बाद दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्रदान की गई। 


डॉ. महेंद्र सिंह राठौड़ ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 94 वर्ष की उम्र राज ऋषि डॉ. कर्णसिंह का समारोह में आना ही हम सभी के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपनी 103 वर्ष पुरानी धरोहर का संजोये हुए है। 


इस अवसर पर एमपीयूटी  के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक, आईपीएस डॉ. विष्णुकांत , आईएस शक्ति सिंह राठौड, डॉ. चेतना भाटी, सीकर जिला प्रमुख गायत्री राठौड़,  वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार, पूर्व विधायक त्रिलोक पुर्बिया, प्रो. एकलिंग सिंह झाला,  प्रो. जरियाव सिंह चुण्डावत, राजेन्द्र सिंह ताणा, शक्ति सिंह कारोही, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, नवल सिंह जुड, नकुल सिंह भाटी, कमलेश्वर सिंह कच्छेर, भंवर सिंह चौहान, सुरेन्द्र प्रताप सिंह शक्तावत, करण सिंह चुण्डात, महेन्द्र सिंह चुण्डावत, पुष्पेन्द्र सिंह शक्तावत, राजेन्द्र सिंह राणावत, कुलदीप सिंह चुण्डावत, महेन्द्र सिंह पाटिया पीजीडीन डॉ. प्रेम सिंह रावलोत, डॉ. रेणु राठौड, डॉ. रितु तोमर, डॉ. रजनी अरोडा, भानु प्रताप सिंह, सहित संस्थान के डीन, डायरेक्टर सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 
संचालन डॉ. अनिता राठौड, डॉ. मनीषा शेखावत, डॉ. तनवी अग्रवाल ने किया।