बी. एन. कृषि महाविद्यालय, उदयपुर भूपाल नोबल्स कृषि महाविद्यालय एनएसएस ने मनाया ‘‘किसान दिवस‘‘ और ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

बी. एन. कृषि महाविद्यालय, उदयपुर भूपाल नोबल्स कृषि महाविद्यालय एनएसएस ने मनाया ‘‘किसान दिवस‘‘ और ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

बी. एन. कृषि महाविद्यालय, उदयपुर भूपाल नोबल्स कृषि महाविद्यालय एनएसएस ने मनाया ‘‘किसान दिवस‘‘ और ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन
बी. एन. कृषि महाविद्यालय, उदयपुर भूपाल नोबल्स कृषि महाविद्यालय एनएसएस ने मनाया ‘‘किसान दिवस‘‘ और ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

बी. एन. कृषि महाविद्यालय, उदयपुर

प्रेस विज्ञप्ति

भूपाल नोबल्स कृषि महाविद्यालय एनएसएस ने मनाया ‘‘किसान दिवस‘‘ और ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त बी. एन. कृषि महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई ने भारत के पांचवे प्रधानमंत्री माननीय चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस पर पौधारोपण कर ‘किसान दिवस‘ मनाया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. दिलीप सिंह ने छात्रों को बताया कि सिंह धरती पुत्र थे, जिन्होनें किसानों के हितार्थ अनेकों योजनाएँ क्रियान्वित कर खाद्य उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी में योगदान दिया और किसानों के सम्मान की मिसाल कायम करते हुए इस पद तक पंहुँचे। बी एन विश्वविद्यालय प्रेसिडेंट प्रोफ. एन बी सिंह ने कहा की किसान देश की अर्थव्यवस्था की प्रेरक शक्ति है और सम्मानित होने के पात्र है।

इस दिन का उद्देश्य किसानों के महत्व एवं राष्ट्र के समग्र सामाजिक एवं आर्थिक विकास में उनके बहुमूल्य योगदान के बारें में जागरुकता को बढ़ावा देना है। एन. एस. एस. प्रभारी डॉ. पी.एस.राव ने बताया कि आज के दिन हमें यह शपथ लेनी है कि हम आजीवन कृषि छात्र के नाते तन-मन-धन से किसानों की सेवा में योगदान करेंगे। कृषि महाविद्यालय उपसमिति के चेयरमैन देवेंद्र सिंह पिपलाज ने कहा की राष्ट्र अर्थव्यवस्था एवं भारत के नागरिक देश के विकास को बनाऐ रखने के लिए किसानों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

इस अवसर पर  विश्वविद्यालय की ओर से एक ऑनलाइन संगोष्ठी का भी आयोजन डॉ कमल सिंह राठौड़ द्वारा किया गया जिसमें देश के विभिन्न प्रांतो बिहार, झारखण्ड, महाराष्ट्र, कर्नाटक से कई कृषि विशेषज्ञॉ ने भाग लिया। जिसमें डॉ जीतेन्द्र कुमार सिंह नीमडीह, डॉ अभय नाथ सिंह, डॉ श्रीराम सिंह, डॉ ओम प्रकाश जी मिश्रा, डॉ अनिकेत, डॉ पी एस राव और  डॉ स्वप्निल भारती ने अपने विचार साझा किये।

इसमें आव्हान किया गया की किसानों को ज्यादा से ज्यादा सम्मान दिया जाये, युवाओं को कृषि की ओर आमुख करने के लिये इसे उद्योग का दर्जा दिया जाये, कृषि में तकनिकी का उपयोग ज्यादा हो, मोटे अनाज की उत्पादकता पर ध्यान दिया जाये, मिट्टी की उर्वरक शक्ति को आधुनिक रासायनिक खादो से नष्ट ना किया जाये, ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद और पशुओं का कृषि में समावेश फिर से किया जाये।

किसान सुखी होगा तो देश सुखी होगासंयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया हैं, भारत में मोटे अनाज जैसे मक्का, बाजरा, जौ, रागी, चिना, आदि का सदियों से उपयोग होता रहा हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक हैं। संस्थान के शताब्दी वर्ष के समारोह कार्यक्रमों में कृषि संबंधित विविध आयोजन होंगे।

 इस अवसर पर सहायक आचार्य, डॉ. हिना सहीवाला, डॉ. भावना गोस्वामी एवं श्री राजेन्द्रसिंह झाला ने छात्रों को पौधारोपण करवाया। 
अधिष्ठाता